भाेपाल . फरवरी का अंतिम दौर चल रहा है...लेकिन पतझड़ लेट है... आम में भी बौर की बहार देरी से आई...टेसू के फूल भी अब खिलना शुरू हुए। वहीं, गेहूं- चने की फसल अब तक पूरी नहीं पक सकी है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस देरी की वजह- इस बार बारिश 83 फीसदी ज्यादा बारिश होना बताया जा रहा है। दिसंबर तक बारिश हाेती रही। इसके कारण नमी 23 फीसदी ज्यादा बनी रही। इसका असर यह हुआ कि ठंड के सीजन में दिन का तापमान सामान्य से कम रहा। दिन ठंडे रहने से तापमान ज्यादा नहीं हाे सका।
हकीकत...फूल से फल बनने की प्रक्रिया के लिए तापमान ज्यादा हाेना जरूरी
इसलिए लेट हुई प्रक्रिया... चीफ साइंटिस्ट डॉ. एमएस परिहार ने बताया कि जब बारिश ज्यादा हाेती नमी बढ़ जाती है ताे फाेटाेसिंथेसिसि(प्रकाश संश्लेषण) व रेस्पीरेशन की प्रक्रिया नहीं हाे पाती। इनमें खाद्य पदार्थाें का संचय नहीं हाे पाता। फूल से फल बनने की प्रक्रिया के लिए तापमान ज्यादा हाेना जरूरी है।
25 दिन की देरी... रिटायर्ड डायरेक्टर एग्रीकल्चर डाॅ. जीएस काैशल ने बताया कि इस बार जब बतर मिलनी थी, तब भी बारिश हाेती रही। गेहूं अाैर चने की बाेवनी देरी से हुई। फसल पकने के लिए तापमान ज्यादा हाेना जरूरी है।
तापमान व नमी
अक्टूबर : दिन का तापमान सामान्य से अाैसत 30 कम। नमी सामान्य से 23% ज्यादा।
नवंबर : दिन का तापमान सामान्य से कम व रात का 2.70 अधिक। नमी सामान्य से 23% ज्यादा।
दिसंबर : दिन का औसत तापमान सामान्य से 20 कम, रात का अाैसत तापमान सामान्य से 10 अधिक था।