भोपाल. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गुरुवार को कहा कि हमने प्रदेश को देश की 'हार्टिकल्चर कैपीटल' बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी किसानों की समृद्धि के द्वार खोलने वाला क्षेत्र है। यह कृषि क्षेत्र का भविष्य है। यह उन्होंने कहा कि नाबार्ड को हार्टिकल्चर क्षेत्र में ऋण देने का अनुमान 6 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 15 प्रतिशत तक रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बड़ी मात्रा में अनुपयोगी पड़ी राजस्व भूमि का उपयोग उद्यानिकी क्षेत्र के विस्तार में किया जा सकता है।
कमलनाथ यहां मंत्रालय में नाबार्ड की ओर से आयोजित राज्य ऋण संगोष्ठी 2020-21 में स्टेट फोकस पेपर का विमोचन कर रहे थे। नाबार्ड ने प्रदेश के लिए एक लाख 98 हजार 786 करोड़ रूपये के ऋण का आकलन किया है। यह पिछले साल से 13 प्रतिशत ज्यादा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब कृषि क्षेत्र में भी नई दृष्टि और नई सोच के साथ काम करने की आवश्यकता है। पहले छोटे दानों जैसे कोदो-कुटकी, ज्वार-बाजरा पर ज्यादा ध्यान नहीं था। आज इन फसलों की प्राथमिकता है। पहले यह गरीबों की खाद्य सामग्री मानी जाती थी अब इनके पोषक तत्वों के कारण बढ़ती मांग के चलते सर्वाधिक उपयोगी साबित हो रही हैं।
भविष्य की चुनौतियों को स्वीकार करना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड के पास वर्षों का संचित अनुभव और बौद्धिक क्षमता है। इसका उपयोग भविष्य में निर्मित होने वाले परिदृश्य में उपयोगी होगा। उन्होंने कहा कि नाबार्ड को न सिर्फ वर्तमान बल्कि 2024-25 की योजना भी अभी से तैयार करना पड़ेगी। उन्होंने कहा कि आज जो स्थितियां हैं, वे पांच साल बाद बदल जाएगी। आज तय किए गए लक्ष्य आसानी से पूरे हो जाएंगे, लेकिन भविष्य की दृष्टि से नए लक्ष्यों की चुनौती को भी स्वीकार करना होगा।
नाबार्ड को अब खेती की नई तकनीकों पर काम करना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड को अब फसलों के निर्यात पर भी ध्यान देना होगा। कृषि क्षेत्र के भीतर उभरते बाजार पर भी पैनी नजर रखना होगी। उन्होंने कहा कि नाबार्ड अपने विशेषता को सामान्य रूप से किए जाने वाले कार्यों में उपयोग न करें। खेती के नई तकनीकों पर ध्यान दें। वेयर हाऊस निर्माण और उपार्जन की अधोसंचानाओं के निर्माण पर भी ध्यान दें। उन्होंने कहा कि एक-दो दशक पहले नाबार्ड की भूमिका सिर्फ रि-फाईनेंसिंग तक सीमित थी। आज इसे अपनी भूमिका को भी विस्तार देने की आवश्यकता है।